Cancel culture kya hai और ये समस्या इतनी जटिल क्यों है? ये समझना बहुत ही आवश्यक है। कहीं जाने अनजाने आप भी इस कल्चर का हिस्सा तो नहीं हैं। यदि आपने भी बिना सोचे-समझे, केवल सोशल मीडिया के चक्कर में पड़कर किसी का करियर बर्बाद किया है, किसी का बिजनेस बर्बाद किया है तो आप भी cancel culture का हिस्सा हैं।
कैंसिल कल्चर नेटिजंस द्वारा असहमति अथवा अस्वीकृति व्यक्त करने का एक तरीका है जिसमें प्रतिष्ठित व्यक्तियों, कम्पनियों अथवा उत्पादों को सामूहिक रूप से बहिष्कृत किया जाता है, उन कार्यों के लिए जिन्हें नेटिजंस आपत्तिजनक मानते हैं।
Cancel culture उन नवयुवकों के नासमझी का परिणाम है जिससे लोगों को सामाजिक, मानसिक और आर्थिक रूप से क्षति पहुँचती है। इंटरनेट की आड़ लेकर, सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करने का सरासर दुरुपयोग है ये। ये समस्या उस समय और भी जटिल बन जाती है जब लोग किसी के १०-२० साल पहले किये गए काम के लिए उन्हें आज दोषी ठहराते हैं।
Cancel culture की शुरुआत कैसे हुई?
हालाँकि cancel culture की शुरुआत ऐसे लोगों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए की गई थी जिनके पास सत्ता (power) है और वो अपने सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। नस्लीय भेदभाव के खिलाफ 2013 में हुए ब्लैक लाइव्स मैटर और यौन उत्पीड़न के खिलाफ 2017 में हुए मी टू आन्दोलन इस कल्चर की उपयोगिता को दर्शाते हैं।
कैंसिल कल्चर की हवा 2010 के दशक में ही चलनी शुरू हो गई थी लेकिन इस हवा ने आँधी का रूप तब ले लिया जब अमेरिकन फिल्म प्रोड्यूसर, हार्वी वाइंस्टीन के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा। 2017 में, अलिसा मिलानो ने सबसे पहले ये आरोप लगाया और ट्विटर पोस्ट के जरिए #MeToo नामक अभियान चलाया। जिसके बाद, बहुत से नाम सामने आएँ जिन्हें जनता ने अपने कटघरे में खड़ा किया और जवाब माँगा। परिणामस्वरुप ये लोग असली कटघरे में पहुँचे और इन्हें सजा हुई।
लेकिन 2017 के बाद से cancel culture की परिभाषा बदलती चली गई और फिर ये एक ट्रेंड बन गया कि हमें जो पसन्द नहीं आ रहा है हम उसे कैंसिल कर देंगे। इस बिना सोचे समझे कैंसिल करने के रवैए ने कुछ बड़ी समस्याओं को जन्म दिया। जैसे-
- पब्लिक शेमिंग (सामूहिक रूप से किसी की बेइज्जती करना)
- करियर बर्बाद करना
- जजमेंटल होना (बिना सोचे समझे किसी के बारे में अपनी राय बनाना)
- मॉब जस्टिस (भीड़ के द्वारा फैसला करना, वो भी आधी-अधूरी और गलत जानकारी के आधार पर)
- सामने वाले को अपनी बात रखने का मौका ना देना आदि।
उदाहरण के तौर पर ऐसे कई लोग हैं जिन्हें कैंसिल कल्चर का सामना करना पड़ा। क्रिस हैरिसन, जे. के. राउलिंग, केविन हार्ट, एलेन डीजेनेरेस, जेम्स गन, डोनाल्ड ट्रम्प, जो रोगन इन सब लोगों को कैंसिल कल्चर का सामना करना पड़ा।
जेके राउलिंग
हैरी पॉटर सीरीज की जानी-मानी लेखिका, जे. के. राउलिंग को cancel culture का सामना करना पड़ा। उनकी किताबों को लोगों ने जलाना शुरू कर दिया, उनकी किताबें न खरीदने, न पढ़ने की माँग उठने लगी। केवल और केवल इस बात के लिए कि उन्होंने LGBTQ अधिकारों को लेकर अपनी बात लोगों के सामने रखी थी। लोगों ने उन पर आरोप लगाया कि वह ट्रांसजेंडर लोगों के साथ भेदभाव करती हैं।
केविन हार्ट
अमेरिकन कॉमेडियन और अभिनेता, केविन हार्ट को उनके एक पुराने ट्वीट (ट्रांसजेंडर लोगों के ऊपर कॉमेडी करने) की वजह से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और परिणाम स्वरूप उनके कार्यक्रम का बहिष्कार हुआ। हालाँकि अपने पुराने ट्वीट्स को लेकर उन्होंने माफी माँग ली थी लेकिन लोगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और लोगों ने उनका बहिष्कार किया।
जेम्स गन
“गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी” फ़िल्मों के निर्देशक, जेम्स गन को cancel culture का सामना करना पड़ा। उन्हें अस्थायी रूप से अपने काम से हाथ धोना पड़ा था क्योंकि उनके पुराने आपत्तिजनक चुटकुले फिर से ट्वीट करने लगे थें। चूँकि ऐसे ट्वीट के लिए उन्होंने पहले ही माफी माँग ली थी लेकिन फिर भी लोगों ने उनके काम का बहिष्कार किया।
Cancel culture in India
भारत में कैंसिल कल्चर, बॉयकॉट (boycott) के नाम से प्रसिद्ध है और इसकी तेजी हमें तब देखने को मिली जब लोगों ने 2020 में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू किया। इस बहिष्कार के प्रदर्शन में लोगों ने अपने महँगे-महँगे चीनी सामानों को तोड़ा-फोड़ा और बर्बाद किया।
2020 में ही, तनिष्क ने अपने एक विज्ञापन में अंतरधार्मिक गोद भराई को दिखाया था। जिसे कुछ लोगों ने “लव जिहाद” को बढ़ावा देने के रूप में देखा और आलोचना की। परिणामस्वरूप लोगों ने तनिष्क का बहिष्कार किया।
इस कल्चर का सबसे ज्यादा प्रभाव बॉलीवुड में देखने को मिलता है। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद लोगों ने बॉलीवुड का बहिष्कार करने की ठान ली और स्टार किड्स की फिल्मों को न देखने का फैसला किया। ये सिलसिला केवल स्टार किड्स की फिल्मों तक सीमित नहीं रहा। ऐसी बहुत सी फिल्में आईं जिनका लोगों ने बहिष्कार किया। जैसे-
2018 में रिलीज हुई फ़िल्म, “पद्मावत” को करणी सेना की धमकियों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
2022 में रिलीज हुई फ़िल्म, “लाल सिंह चड्ढा” का लोगों ने बहिष्कार किया। वजह, 2015 के एक साक्षात्कार में आमिर खान ने बताया था कि उनकी पत्नी किरण राव ने उन्हें “बढ़ती असहिष्णुता” के कारण देश बदलने का सुझाव दिया था।
तापसी पन्नू द्वारा अभिनीत “दोबारा” फिल्म #BoycottBollywood ट्रेंड से प्रभावित हुई और सोशल मीडिया पर बहिष्कृत की गयी जिसका असर बॉक्स ऑफिस पर साफ दिखाई दिया।
2022 में रिलीज हुई फ़िल्म, “द कश्मीर फाइल्स” को लोगों ने भड़काऊ और मुसलमानों को बदनाम करने वाली मूवी बताया।
2023 में रिलीज हुई फ़िल्म, “द केरला स्टोरी” जो की धर्मांतरण के मुद्दे को दिखाती है, लोगों ने बहिष्कार किया।
2023 की, कंगना रनौत द्वारा अभिनीत “इमरजेंसी” फ़िल्म, जो कि भारत के विवादास्पद आपातकाल (1975-1977) की घटनाओं को दर्शाती है, को काफी विवाद और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से इसे पंजाब में प्रतिबन्धित कर दिया गया।
बॉलीवुड के अलावा, इसमें पॉलीटिशियंस, सेलिब्रिटीज, उभरते हुए नए कलाकार और यूट्यूबर्स को भी टारगेट किया जाता है। इसी कल्चर के चलते फेमस यूट्यूबर, MrBeast जिनके 354 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं, को कैंसिल किया गया। सोशल मीडिया पर हैशटैग ट्रेंड चलाने की जिम्मेदारी टीनएजर्स ने अपने सिर पर ले रखी हुई है। जिन्हें खुद अपने भविष्य का कुछ पता नहीं है वो दूसरों के भविष्य का निर्णय सोशल मीडिया के जरिए करना चाहते हैं।
Cancel “cancel culture”
किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती है ठीक उसी प्रकार कैंसिल कल्चर की भी अति हो चुकी थी। लोग बहिष्कार करते-करते ऊब चुके थें। इसलिए धीरे-धीरे लोग अब cancel culture को ही कैंसिल कर रहे हैं। कुछ समय बाद सब भूलकर लोग उन्हीं स्टार किड का शो देखेंगे जिसका कभी बहिष्कार किया था। उदाहरण के लिए किसी भी स्टार किड का गाना या फिल्म उठाकर देख लीजिए, कितने मिलियन व्यूज हैं? खुद पता चल जाएगा।
ये सारी बेवकूफियाँ लोग किसी ने किसी के प्रभाव में आकर करते हैं, किसी न किसी से इनफ्लुएंस होकर करते हैं लेकिन युवा पीढ़ी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि cancel culture का इस्तेमाल समाज की बुराईयों को उजागर करने के लिए होना चाहिए न कि अपने व्यक्तिगत विचार किसी के ऊपर थोपने के लिए।