बवाल

“आज जो न बवाल हुआ ऑफिस में कि मैं अब क्या ही बताऊँ?”
“अरे बताओ तो सही हुआ क्या?” तन्मय ने उत्सुकता से पूछा।
हुआ कुछ यूँ रेशमा जी, मदन की टाँग खींच रही थीं, पूछ रही थीं- “बताओ मदन तुम्हें कैसी लड़की चाहिए? अच्छा पहले यह बताओ शादी करना भी चाहते हो कि नहीं?”
“हाँ हाँ क्यों नहीं?” मदन ने कहा।
“तब कैसी लड़की चाहिए? बताओ मैं ढूँढूँगी तुम्हारे लिए।”
मदन ऑफिस का सबसे यंगेस्ट एम्पलॉई (सबसे कम उम्र का कर्मचारी) था जिसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी।
“अपनी उम्र से छोटी लड़की चाहिए? हमउम्र चाहिए? या फिर बड़ी लड़की?” रेशमा जी ने पूछा।
“तलाकशुदा हो तो भी चल जाएगी मेरे लिए” मदन ने हँसते हुए कहा।
“ओ…. आण्टी टाइप की लड़की पसन्द है तुम्हें, तुम तो बड़े तेज निकले आँ.. देख रहे हो मदन की चॉइस। भाई साहब, अलग ही लेवल है इनका, फुल एक्सपीरियंस्ड लड़की चाहिए इनको। ऐसी वैसी ना चलेगी।” रेशमा जी ने मजे लेते हुए कहा।

सभी इस बात के मजे ले रहे थे और हँस रहे थें। फिर मदन थोड़ा सीरियस होते हुए बोला- “इसमें प्रॉब्लम ही क्या है? हम दोनों अगर एक दूसरे से सहमत हैं तो कोई दिक्कत नहीं। वैसे भी मैरिज एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट ही तो है। मैं सहमत आप सहमत, शादी हो गई।”
इस पर अजय ने कहा, “भाई यह क्या शादी का कॉन्सेप्ट है? मैं सहमत तुम सहमत?”
तभी सुलेखा बोली- “अरे ये क्या है, यहाँ तो ओपन मैरिज भी चलता है।”
“अब ये ओपन मैरिज क्या है?” अजय ने पूछा।
“देखो, अगर कोई शादीशुदा होने के बावजूद किसी दूसरे पुरुष या स्त्री से सम्बन्ध बनाता है तो उसे कहते हैं ओपन मैरिज। मतलब तुम भी फ्री हो किसी के साथ सोने के लिए और तुम्हारी पत्नी भी और तुम दोनों को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है।” सुलेखा ने समझाया।
अजय ने कहा, “यह क्या बकवास है? फिर ये इंसानों की शादी कहाँ रह गई, ये तो जानवरों वाली हरकत हो गई कि जब जिसका मन करे उसके साथ हो लिए, सो लिए।”

अजय का इतना बोलना था कि उधर से मेघा तनतनाते हुए आई, उसकी आँखों में चिंगारी थी और चेहरा तमतमाया हुआ था, बोली – “अजय, 1आएम डेफिनेटली स्योर यू विल फील ऑफेंडेड बट आई वांट टू टेल यू, मैं ओपन मैरिज में हूँ ऐन्ड एम नॉट एन एनिमल।” इतना सुनकर अजय सन्न रह गया और मन ही मन सोचने लगा, “ये मैंने क्या बोल दिया और क्यों बोल दिया?”
मेघा गुस्से में लाल-पीली हुई जा रही थी और बिना रुके बोले जा रही थी।
“मैं बायसेक्सुअल हूँ और मैं शादीशुदा भी हूँ, मैं जतिन के साथ शादी की हूँ लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वह एक आदमी है इसलिए मैंने उसके साथ शादी की है। 2आएम टेकिंग हिम ऐज़ अ पर्सन नॉट अ मैन, (अजय मन ही मन सोच रहा था अब ये क्या कॉन्सेप्ट है कि उसको पर्सन की तरह देखती है मैन की तरह नहीं) मैं कई लड़कियों के साथ सो चुकी हूँ, मैं कई लड़कों के साथ भी सो चुकी हूँ और ये सारी बातें जतिन को पता है। और तुम्हें पता है बायसेक्सुअल होना कैसा लगता है? कई साल मैंने केवल खुद को समझने में निकाल दिये कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है। मैं मेरी ही फिलिंग्स नहीं समझ पा रही थी। जब मैं अपने गाँव से बाहर निकली, कॉलेज में आयी तब जाकर मुझे मेरे प्रोफेसर ने बताया कि मैं क्या हूँ।”
(बायसेक्सुअल वो होते हैं जिन्हें प्यार जेंडर देखकर नहीं होता, बस हो जाता है फिर चाहे वो लड़के से हो या लड़की से) अजय के लिए यह सब कुछ नया था, ऐसा लग रहा था ये सारी बातें उसके पल्ले नहीं पड़ रही हैं क्योंकि शादी जैसे पवित्र बन्धन को लेकर उसके विचार इन लोगों से बिल्कुल ही भिन्न थें। अजय के लिए शादी सात जन्मों का बन्धन था, एक आत्मिक बन्धन था जो मरने के बाद भी नहीं टूटता है लेकिन यहाँ पर हो रही छिछली बातें उसके रूढ़िगत विचारधाराओं को चुनौती दे रहे थें।

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मेघा बहुत ज्यादा पर्सनल हो रही थी, वह अपनी व्यक्तिगत जानकारी सरे आम लोगों के सामने ढिंढोरा पीट के बता रही थी जो कि कॉर्पोरेट सेक्टर में सही बात नहीं है। उसे रोकते हुए अजय ने कहा, “बस करो, ये सब बहुत ज्यादा हो रहा है।”
“नहीं अजय, कुछ ज्यादा नहीं है ये सब तुम्हें जानना होगा। तुम्हें पता है अरुणाचल प्रदेश में जब कोई गेस्ट आता है तो घर की महिलाओं को उनके साथ सोना पड़ता है। अगर वो ऐसा नहीं करती हैं तो गेस्ट नाराज हो जाते हैं और फिर उनके यहाँ कभी नहीं आते हैं।”
इस पर अजय ने बोला-“तुम्हें नहीं लगता कि ये कितनी गलत बात है!”
“नहीं अजय, यही तो तुम्हें समझना है कि यहाँ बात सही और गलत की है ही नहीं। इट्स ऑल अबाउट कल्चर, कल्चर है ये वहाँ का।”
मेघा की ये सारी बातें बढ़ती ही जा रही थीं, ऐसा लग रहा था मेघा अजय के साथ झगड़ा कर रही है। वाद-विवाद बढ़ता ही जा रहा था। दो मिनट शान्त रहती फिर कुछ लेकर चालू हो जाती।
फिर आगे लगी कहने, “जानते हो अजय, धर्म को लेकर अगर बात की जाए तो मुस्लिम धर्म के इतिहास में लोग होमोसेक्सुअल, बायसेक्सुअल रहे हैं। कैसे कह सकते हो कि ये गलत है?”
“भाई साहब मैं नहीं कह रहा हूँ कि यह गलत है जिसको जो अच्छा लगता है वो करें।” अजय ने कहा।
फिर उसके बाद उसने खिलजी का पता नहीं कहाँ से उठा लिया।
“खिलजी अपने अंगरक्षक के साथ खेमे में जाकर सोता था।”
अजय ने हाथ जोड़ लिए, “बस करो ये सब क्या बता रही हो? बस करो ये सब बहुत ज्यादा हो रहा है मेरे लिए।”
“नहीं, यू शुड नो दिस अजय दिस इस द कल्चर”
मेघा अपनी सारी बातों को सही साबित करने के लिए आगे बताने लगी- “जैसे हिन्दू, मुस्लिम ये सब धर्म हैं, तुम लोग उसे फॉलो करते हो उसी तरह से ये कॉन्सेप्ट भी एक कल्चर है।”

ये लोग कॉन्सेप्ट को कल्चर बना दिए, न जाने ये लोग किस वे में जा रहे हैं। मॉडर्निटी के नाम पर ये लोग क्या-क्या कर रहे हैं यही जानें। चूँकि अजय अपनी जगह सही था फिर भी उसने मेघा से माफी माँग ली ताकि ऑफिस का माहौल न बिगड़े। उसे अपने संस्कारों का अच्छे से ज्ञान था। उसने मेघा से कहा कि मेरा तुम्हें जानवर कहने का कोई इरादा नहीं था वह तो मैं बस उस कॉन्सेप्ट को कह रहा था। मेघा ने बस इतना ही कहा- “तुम्हें इस बात का एहसास हुआ, तुम मेरे पास आए, माफी माँगे, मेरे लिए इतना ही बहुत है। ठीक है कोई बात नहीं, तुम्हें नहीं पता था, आज पता चल गया।”

अजय ने माफी तो माँग ली थी लेकिन उसकी नजरों से मेघा उतर गई थी। पाण्डेय परिवार की लड़की होने के बावजूद उसका पूजा-पाठ, धर्म, रीति-रिवाज से दूर-दूर तक कोई नाता-रिश्ता नहीं था। उसे हर एक चीज को एक्सप्लोर करना था। उसकी सोच सभी धर्मों से परे थी। उसके खाने की थाली में कुत्ते-बिल्ली को छोड़कर बाकी सब सज चुके थें। बॉलीवुड के चक्कर में या यूँ कहें मॉडर्निटी के चक्कर में मेघा बर्बाद हो चुकी थी।

विशेष:- मेघा द्वारा बताए गए अरुणाचल प्रदेश अथवा इतिहास के तथ्यों में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है क्योंकि इसके बारे में वही जानती है तो इसमें कितनी वास्तविकता है यह हमें नहीं पता है।

1 मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हें बुरा लगेगा लेकिन फिर भी मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ, मैं ओपन मैरिज में हूँ और मैं कोई जानवर नहीं हूँ
2 मैं उसे एक व्यक्ति के रूप में देखती हूँ, आदमी के रूप में नहीं

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